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लेखनी प्रतियोगिता -11-Sep-2022

खामोश है जुबान मगर आंखों से बात हो रहीं हैं
आज शरीर की जान से मुलाकात हो रहीं हैं

दो जवां दिवाने अकेले बैठे हैं कुछ कर बैठेंगे
हवा भी ठंडी चल रहीं हैं और बरसात हो रही है

दिलरुबा अब जाने की जिद्द पर अड़ चुकी है
कहती हैं जाने दो प्रियतम अब रात हो रहीं हैं

मुरझाए फूल को परी ने छुआ तो खिल उठा वो
माली सोचने लगा ये क्या करामात हो रहीं हैं

सुबह ही सुबह बाल संवारती नज़र आई हैं सनम
मालिक मेहरबां है जो दिन की एसे शुरुआत हो रहीं हैं

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10 Comments

बहुत ही सुंदर

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Raziya bano

12-Sep-2022 06:50 PM

Shaandar

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chetan prajapat

12-Sep-2022 08:34 PM

धन्यावाद

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Ajay Tiwari

12-Sep-2022 05:08 PM

Nice

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chetan prajapat

12-Sep-2022 08:35 PM

धन्यावाद

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